Monday, December 26, 2011

छोड़ दिया 

रिश्तों के धागे
कुछ, अब भी जुड़े थे,
बीती रात, मैंने
उसे भी तोड़ दिया.

तुम्हारी ख़ुशी
कल भी चाहता था,
आज भी चाहता हूँ,
बस अपनी राहों को
अब तुमसे जुदा कर लिया.

जानता हूँ, तुम्हारी कोई गलती नहीं, पर
मेरा तुम्हारी ज़िन्दगी में होना
मुझ पर भी कोई
दायित्व नहीं.

तुमसे जो मिला,
उसका शुक्रिया.
बस अब और कुछ पाने का,
इरादा छोड़ दिया.

तुम्हारे दुःख से तो
अब भी दुखी होऊंगा
बस अपने दुःख की दास्ताँ
बतलाना छोड़ दिया.


दुआ है तुम,
हमेशा उन्नति करो,
बस अपनी उन्नति की वजह,
तुम्हे बनाना
छोड़ दिया.

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